वर्ष 2025 की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत में कुल 1003886 मामले निराकृत तथा अवार्ड राशि 572225744 रही

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दुर्ग, 14 दिसम्बर 2025/राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में वर्ष 2025 की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा, तथा किशोर न्याय बोर्ड दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग, राजस्व न्यायालय दुर्ग, एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत आयोजित की गयी।
प्रधान जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग द्वारा न्यायिक भातृत्व की भावना को प्रमुखता देते हुए श्री सजल जैन, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी दुर्ग द्वारा नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित किया। शुभारंभ कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग के अलावा जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग के सचिव श्री रविशंकर सिंह एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
नेशनल लोक अदालत में कुल 32 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 03 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 23, तहसील व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 में 01 खण्डपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय पाटन हेतु 02 खण्डपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाऐं) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था।
उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक, सिविल, परिवार, मोटर दुर्घटना दावा, से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण न्यायालय में सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग / वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है, यहाँ वर्षों का विवाद मिनटों में सुलझ जाता है। इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है।
शनिवाार, 13 दिसम्बर को नेशनल लोक अदालत के अवसर पर सामाजिक एवं जनहितैषी कार्यक्रम के उद्देश्य से जरूरतमंदों व्यक्तियों के लिए सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने तथा समाज में ष्रक्तदान जागरूकताश् को बढ़ावा देने के लिए दुर्ग जिला ब्लड सेंटर, रेडकास सोसायटी जीवनदीप समिति जिला प्रशासन / जिला चिकित्सालय दुर्ग द्वारा मोबाईल ब्लड कलेक्शन वेन की व्यवस्था सहित निःशुल्क सेवा हेतु ष्रक्तदान शिविरष् के आयोजन के साथ-साथ कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला चिकित्सालय, दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले पक्षकारों के स्वास्थ्य जाँच / परीक्षण हेतु एक दिवसीय ष्निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविरष् का आयोजन किया गया। उक्त विभाग / कार्यालय की ओर से डॉ० मोनिका मरकाम, चिकित्सा अधिकारी, एवं अन्य सहायक कर्मचारियों द्वारा सेवाऐं प्रदान की गयी। स्वास्थ्य जाँच शिविरष् में अन्य न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण एवं बड़ी संख्या में आमजनों के द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच / परीक्षण कराया गया और बहुतायत संख्या में लोग लाभान्वित हुए हैं।
उक्त आयोजित नेशनल लोक अदालत गुरूद्वारा शहीद बाबादीप सिंह व श्री गुरूसिंह सभा गुरूद्वारा के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर में निः शुल्क भोजन की व्यवस्था किया गया था जहां बहुतायत संख्या में लोगों के द्वारा निःशुल्क भोजन ग्रहण किया गया। इसके अलावा केन्द्रीय जेल दुर्ग द्वारा जेल में निरूद्ध बंदियों द्वारा निर्मित ष्जेल उत्पाादष् की प्रदर्शनी विक्रय हेतु लगायी गयी थी जिसे उपस्थितजनों द्वारा काफी सराहा गया ।
उक्त आयोजित नेशनल लोक अदालत में माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग कोर्ट भ्रमण के दौरान पक्षकारों व बैंक प्रबंधकों से रू-ब-रू हुए साथ ही समाज में ष्रक्तदान जागरूकताश् को बढ़ावा देने हेतु दुर्ग जिला ब्लड सेंटर, रेडकास सोसायटी जीवनदीप समिति जिला प्रशासन / जिला चिकित्सालय दुर्ग द्वारा मोबाईल ब्लड कलेक्शन वेन में ब्लड डोनेट किया गया ।
वर्ष 2025 के चतुर्थ व अंतिम नेशनल लोक अदालत में कुल 21610 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 982276 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 572225744 /- रूपये रहा। इनमें बैंक के प्रीलिटिगेशन के कुल 18, विद्युत के कुल 281 एवं दूरभाष के 83 मामले निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि लगभग 4138480/- रही है। इसी क्रम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 492 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 75 प्रकरण, पारिवारिक मामलें के 163 चेक अनादरण के 296 मामलें, व्यवहार वाद के 53 मामलें, श्रम न्यायालय के कुल 08 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के कुल 7789 मामलें निराकृत हुए।

*उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे -*

*धारा 420 भा.दं.सं. का मामला नेशनल लोक अदालत में आपसी राजीनामा से समाप्त*

मामला श्री भगवान दास पनिका के माननीय खण्डपीठ/न्यायालय का है, जिसमें थाना उतई के अपराध कमांक 316/2024 धारा 420 भा.दं.सं. के अंतर्गत अभियोग पत्र प्रस्तुत होने से संबंधित मामला आज नेशनल लोक अदालत में प्रस्तुत हुआ। उक्त मामले में ग्राम उमरपोटी प.ह.नं. 29 रा.नि.मं. दुर्ग स्थित भूमि ख.नं. 301/11 रकबा 0.01 हेक्टेयर 1575 वर्गफुट भूमि, छ.ग. में प्रार्थिया को ग्राम उपरपोटी प.ह.नं.29 भूमि खसरा नं. 301/11 रकबा 0.01 हेक्टेयर कुल 1575 वर्गफीट भूमि को प्रार्थिया के साथ 580000/- में बिकी का पक्का इकरारनामा कराकर प्रार्थिया से 450000/- रूपये लेकर जमीन देने के नाम से छल कारित करने के आशय से प्रवंचित कर बेईमानीपूर्वक उत्प्रेरित कर प्रार्थी से 450000/- रूपये प्राप्त कर छल कारित किया था। माननीय न्यायालय के खण्डपीठ में आज दोनों पक्ष के बीच राजीनामा हुआ जिसमें आवेदक / प्रार्थी एवं अनावेदक/आरोपी के मध्य आपसी सहमति से 450000/- रूपये में राजीनामा हुआ पूर्व में अनावेदक/आरोपी द्वारा आवेदक/प्रार्थी को 1,00,000/- रूपये प्रदान किया जा चुका है। शेष राशि अनावेदक/आरोपी द्वारा आज नेशनल लोक अदालत में 50000/- रूपये आवेदक / प्रार्थी को प्रदान किया गया अनावेदक / आरोपी द्वारा शेष राशि 3,00,000/- रूपये माह नवंबर 2026 तक आवेदक / प्रार्थी को अदा करेगा तथा आवेदक / प्रार्थी अब अनावेदक/आरोपी के विरूद्ध आगे कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते हुए आपसी राजीनामा से मामला समाप्त किया गया।

*घरेलु हिंसा से परिवाद का मामला आपसी राजीनामा से समाप्त*

मामला खंडपीठ क. 19 के पीठासीन अधिकारी रवि कुमार महोबिया, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदिका द्वारा अपने ससुराल पक्ष सास, ससुर, मामा ससुर, मामी सास, नानी सास व नाना ससुर द्वारा माननीय न्यायालय में घरेलु हिंसा का परिवाद पेश किया गया था। इनके द्वारा ससुराल में गाली-गलौच अपशब्द का प्रयोग किया जाता था तथा स्त्रीधन कम लाने के संबंध में प्रताड़ित किया जाता था। संबंधित प्रकरण आज नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु रखी गयी जिसमें आवेदिका एवं अनावेदकगण द्वारा पुरानी रजिश को भूलकर वर्तमान में मधुर संबंध स्थापित कर मामला आपसी राजीनामा से समाप्त हंसी-खुशी घर वापस गये।

*जेठानी, देवरानी एवं जेठ के द्वारा मामला आपसी राजीनामा से समाप्त किया गया*

मामला खंडपीठ क. 17 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती श्वेता पटेल, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें प्रार्थी / आहत देवरानी द्वारा अपनी जेठानी एवं जेठ के विरूद्ध भा.दं. सं. की धारा 294, 506 एवं 323/34 अंतर्गत मामला दर्ज कराया गया था। यह विवाद एक अत्यंत साधारण पारिवारिक बात से उत्पन्न हुआ प्रार्थी द्वारा यह कहे जाने पर कि आंगन की अभी सफाई हुई है चप्पल पहनकर न आयें जाए इसी बात को लेकर आपसी कहासुनी हुई दुर्भाग्यवश मारपीट व गाली गलौच एवं जान से मारने की धमकी तक पहुंच गई। मामला वर्षाे से न्यायालय में लंबित रहा जिससे परिवार के बीच कटुता तनाव एवं आपसी दूरी बनी रही। उक्त मामला आज नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु रखा गया। जिसमें माननीय पीठासीन अधिकारी श्रीमती श्वेता पटेल एवं प्रशिक्षु मजिस्टेट सुश्री मुस्कान शर्मा, सुश्री वैशाली बघेल तथा सुश्री शारदा शर्मा द्वारा धैर्यपूर्वक समझाईश देते हुए परिवार की महत्ता आपसी सम्मान सह-अस्तित्व एवं रिश्तों की गरिमा के विषय में विस्तार से समझाईश दिये जाने पर दोनों पक्षों द्वारा आपसी मतभेदों को भुलाकर आपसी सहमति से विवाद का शांतिपूर्ण तरीके से निराकरण करते हुए आपसी राजीनामा से मामला समाप्त किया गया। इस प्रकार लोक अदालत न केवल कानूनी विवादों का समाधान करती है, बल्कि टूटते पारिवारिक रिश्तों को जोड़कर सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक एकता को सुदृढ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

*पति-पत्नि के मध्य वर्षों से चला आ रहा मनमुटाव दूर हुआ और आपसी विश्वास पुनः स्थापित मामला खंडपीठ क. 17 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती श्वेता पटेल, न्यायिक*

मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का ही है। जिसमें आवेदिका द्वारा अपने पति के विरूद्ध घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कराया गया था यह मामला कई वर्षों से न्यायालय में लंबित रहा। उक्त दंपति की एक नाबालिक पुत्री है जिस कारण यह विवाद केवल विधिक नहीं बल्कि पारिवारिक एवं भावनात्मक रूप से भी अत्यंत संवदेनशील होने से उक्त मामला आज नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु नियत की गयी थी। उक्त मामलें में माननीय पीठासीन अधिकारी श्रीमती श्वेता पटेल एवं प्रशिक्षु मजिस्टेट सुश्री मुस्कान शर्मा, सुश्री वैशाली बघेल तथा सुश्री शारदा शर्मा द्वारा मानवीय दृष्टिकोण से धैर्यपूर्वक समझाईश देने से पति-पत्नि के मध्य वर्षाे से चला आ रहा मनमुटाव दूर हुआ और आपसी विश्वास पुनः स्थापित होने से दोनों पक्षों द्वारा आपसी सहमति से विवाद का शांतिपूर्ण निराकरण कर पुनः साझा गृहस्थ जीवन व्यतीत कराने हेतु सहमत हुए।

इस प्रकार नेशनल लोक अदालत में न केवल विवादों का त्वरित समाधान होता है बल्कि रिश्तों को जोड़ने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने और पारिवारिक सौहार्द बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

*घरेलू आवश्यकता के लिए उधार पर ली गयी राशि के भुगतान का मामला राजीनामा से समाप्त*

मामला खंडपीठ क्र. 21 के पीठासीन अधिकारी श्री वीरेन्द्र सिंह, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है। जिसमें अभियुक्त ने परिवादी से अपने घरेलू आवश्यकता के लिए वर्ष 2018 में 3,00,000/- रूपये उधार लिया था आरोपी ने उक्त उधार राशि के भुगतान के लिए परिवादी को 3,00,000/- रूपये का चेक प्रदान किया था जो बैंक में पेश किए जाने पर उक्त चेक अनादरित हो जाने से परिवादी के द्वारा न्यायालय के समक्ष मामला प्रस्तुत किया गया। उक्त मामला आज नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु रखा गया जिसमें दोनों पक्षों को माननीय पीठासीन अधिकारी के द्वारा समझाईश दिये जाने से दोनों पक्षकार मामलें में बिना किसी डर, दबाव व भय के आपसी राजीनामा कर प्रकरण समाप्त किया।

*निजी खर्च हेतु ली गयी राशि को वापस करने संबंधी मामला राजीनामा से समाप्त मामला खंडपीठ क. 20 के पीठासीन अधिकारी श्री रवि कुमार कश्यप, न्यायिक*

मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के खण्डपीठ का है जिसमें परिवादी व आरोपी के मध्य निजी खर्चा हेतु ली गयी राशि को वापस करने को लेकर पक्षकारों के मध्य मामला इस हद तक बढ़ा कि मामला अदालत में आ गया। संबंधित मामला आज नेशनल लोक अदालत में सुनवाई हेतु रखा गया जहां पक्षकारों को माननीय न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने से दोनों पक्षकारों के मध्य आपसी राजीनामा से मामला समाप्त कर लिया गया।

शनिवार, 13 दिसम्बर को नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय दुर्ग में इंटर्नशीप करने वाले विधि विद्यार्थियों के द्वारा नेशलन लोक अदालत हेतु माननीय न्यायालय हेतु गठित विभिन्न खण्डपीठ / न्यायालय में पक्षकारों के मध्य आपसी राजीनामा कराने में अहम् भूमिका निभाते हुए सहयोग प्रदान की गयी।

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