



रिपोर्टर – मो युसूफ खान दुर्ग ग्रामीण
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अंडा // छत्तीसगढ़ में वर्षों से लंबित भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन प्राधिकरण के गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दो महीने के भीतर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह विषय अब टालने योग्य नहीं है और यदि निर्धारित समय सीमा में आदेश का पालन नहीं किया गया, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह याचिका सारंगढ़-बिलाईगढ़ निवासी बाबूलाल द्वारा एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव के माध्यम से दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार वर्षों से भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण का गठन नहीं कर पाई है। इस कारण मुआवजा और ब्याज से जुड़ी सैकड़ों अर्जियाँ अधर में लटकी हुई हैं, जिससे प्रभावित किसान और ज़मीन मालिक लंबे समय से परेशान हैं।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जनपद सदस्य एवं किसान नेता
*ढालेश साहू ने कहा:*
*”सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय छत्तीसगढ़ के हजारों किसानों के लिए न्याय की उम्मीद लेकर आया है। प्राधिकरण के अभाव में किसान वर्षों से अपने मुआवजे और पुनर्वास की मांग को लेकर भटकते रहे, लेकिन अब उन्हें न्याय मिलने का रास्ता साफ हुआ है।”*
उन्होंने आगे कहा:
“हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं। सरकार को चाहिए कि वह बिना देरी किए पारदर्शिता के साथ प्राधिकरण का गठन करे और सभी लंबित मामलों का शीघ्र निराकरण करे।”
*उन्होंने अंत में कहा कि,*
“यह फैसला किसान हितैषी दृष्टिकोण को मजबूती देता है और यह दिखाता है कि न्याय की आवाज अगर संगठित होकर उठे, तो वह देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुँचती है।