पाटन SDM कार्यालय पहुंचे प्रभावित किसान , 700 से अधिक प्रभावित किसानों को अब तक नहीं मिली भूमि क्षतिपूर्ति राशि

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✍🏾मो.युसुफ खान ✍🏾

पाटन।

किसान नेता ढालेश साहू के नेतृत्व में 400 केवी रायपुर–पुल–धमतरी संचरण लाइन से प्रभावित किसानों ने पाटन एसडीएम कार्यालय पहुंचकर भूमि क्षतिपूर्ति राशि में हो रही देरी के विरुद्ध तीव्र विरोध दर्ज कराया। किसानों ने बताया कि टावर बेस और ROW (राइट ऑफ वे) क्षेत्र में उनकी कृषि भूमि गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, लेकिन अब तक एक भी किसान को निर्धारित मुआवज़ा राशि का भुगतान नहीं हुआ है। इस संबंध में किसानों ने एसडीएम लवकेश कुमार ध्रुव को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रभावित किसानों में अरुण कश्यप, बालमुकुंद वर्मा, शीतल देवांगन, भेद वर्मा, दीनदयाल बांधे, रोशन बांधे, रवि, सुरेंद्र बांधे, अशोक साहू, परमानंद बांधे, संतोष पटेल, सावंत बांधे, आत्मा, रेवा, रामचंद्र, संतोष, लखन वर्मा, जय प्रकाश, कुंभकरण वर्मा, अनुसुइया बाई सहित असोगा, रगंकठेरा, कौही, डीडगा और मोखली गांवों के कई किसान उपस्थित थे।

किसानों ने बताया कि पाटन क्षेत्र के 700 से अधिक किसान अब भी मुआवज़े से वंचित हैं, जबकि शासन ने 10 मार्च 2025 की संशोधित गाइडलाइन जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि टावर बेस पर 200 प्रतिशत तथा ROW क्षेत्र की भूमि पर 30 प्रतिशत क्षतिपूर्ति का पालन नहीं किये जाने व विभागीय स्तर पर प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की जा रही है, जिससे किसानों में गहरा असंतोष है।

*किसानों की प्रमुख माँगें*

प्रभावित किसानों ने प्रशासन के समक्ष निम्नलिखित महत्वपूर्ण माँगें रखी—

1. पाटन क्षेत्र के सभी गांवों का ग्रामवार मुआवज़ा पत्रक तत्काल जारी किया जाए, ताकि प्रत्येक किसान को उसका पात्र मुआवज़ा ज्ञात हो सके। 2. शासन की 10 मार्च 2025 की गाइडलाइन के अनुसार टावर बेस का 200% और ROW क्षेत्र का 30% मुआवज़ा तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए। 3. राजस्व विभाग को निर्देशित कर मुआवज़ा राशि का पारदर्शी और समयबद्ध वितरण सुनिश्चित किया जाए। 4. मामले पर स्पष्ट निर्णय हेतु किसानों और विभागीय अधिकारियों की संयुक्त बैठक तत्काल आयोजित की जाए। 5. प्रशासन मुआवज़ा भुगतान के लिए निर्धारित समय-सीमा घोषित करे, ताकि भ्रम और देरी समाप्त हो सके।

*किसान नेता ढालेश साहू* किसानों के मार्गदर्शन हेतु पूरे समय उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि किसानों की वैध मांगों पर प्रशासन को तत्काल एक्शन लेना चाहिए, क्योंकि मुआवज़ा किसानों का कानूनी अधिकार है और इसमें देरी अस्वीकार्य है। यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन सहित बड़े कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे।

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