मनसा शिक्षा महाविद्यालय भिलाई में हुआ एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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विमल थापा भिलाई—-

मनसा शिक्षा महाविद्यालय भिलाई में छत्तीसगढ.आयोग के सहयोग से “Yoga :Ensuring for Physical and mental wellnss” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में पधारे माननीय सचिव डॉ. भूपेंद्र कुलदीप (हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग छत्तीसगढ़) एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे माननीय प्रोफेसर राजीव चौधरी विभागाध्यक्ष शारीरिक शिक्षा विभाग (पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर) के कर कमलों द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना एवं दीप प्रज्वलित कर राज गीत द्वारा किया गया।
्इस अवसर पर सभी माननीय अतिथियों का पुष्प पौध द्वारा स्वागत कर प्रो. स्मिता सक्सेना प्राचार्य मनसा शिक्षा महाविद्यालय, भिलाई द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। सभी का स्वागत करते हुए उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में भाग दौड़ की इस जिंदगी में कहीं ना कहीं मानव अपनी मूल संस्कृति एवं परंपरा से दूर होते जा रहा है जो कि उसकी मानसिक स्थिति को तनाव से जोड़ना है इस स्थिति से हम किस प्रकार दूर हो सकते हैं और अपने बहुमूल्य जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं इन्हीं कड़ियों को ध्यान में रखते हुए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिससे सभी लाभांवित हो सकें।
मनसा शिक्षा महाविद्यालय के संचालक महोदय श्री संजीव सक्सेना ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के संदर्भ में अपने उद्बोधन में कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से ज्ञान का विचारों का आदान-प्रदान जो हम प्राप्त करते हैं वह हम किताबों के माध्यम से नहीं प्राप्त कर सकते साथ ही उन्होंने योग को अपने जीवन शैली में शामिल करने की बात कही उन्होंने कहा कि योग को यदि हम अपने जीवन शैली में शामिल कर लेते हैं तो हमें डॉक्टर की आवश्यकता कम हो जाती है एवं संतुलित जीवन शैली संतुलित आहार सात्विक विचारों से ही हम पूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।
मुख्य अतिथि माननीय कुलसचिव डॉ. भूपेंद्र कुलदीप ने सर्वप्रथम छ।।ब् ष्।ष् ग्रेड के लिए महाविद्यालय को बधाई दी “योगःकर्मसु कौशलम‘‘ से आप अपना उद्बोधन प्रारंभ किया जीवन में एकाग्रता को बनाए रखने के लिए योग को सर्वश्रेष्ठ कड़ी के रूप में सभी को स्वीकार करना चाहिए योग के साथ स्वास्थ्य का संबंध होता है और स्वास्थ्य संसार में सबसे बड़ा धन माना गया है योग एक ऐसा जोड़ है जो मानव को हर क्षेत्र को एक कड़ी से जोड़ता है योग में स्वास्थ्य ध्यान समाधि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है योग के कौशल से सभी कौशल को प्राप्त किया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि माननीय प्रोफेसर राजीव चौधरी ने अपने संदेश के माध्यम से अपने उद्बोधन में महाविद्यालय को बधाई दी और कहा कि ज्ञान में योग का महत्वपूर्ण स्थान है योग अग्नि से तपकर मृत्यु तक कभी बुढ़ापे को आने नहीं देता गीता के श्लोक- “योगःकर्मसु कौशलम‘‘ की बात कही और कहा कि हमारा देश योग में आज उच्च स्थान पर है योग एवं संस्कृति हमारे भारतवर्ष की पहचान है और यह सर्व पूजनीय है योग के साथ धर्म का पालन सभी इकाइयों को उत्कृष्ट जीवन का स्वरूप प्रदान करती है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर कप्तान सिंह (श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय, रायपुर) ने अपने उद्बोधन में सर्वप्रथम मॉ सरस्वती को नमन करते हुए योग ही जीवन है और जीवन पर्यन्त योग के साथ जुडे़ रहना ही मानव की अमूल्य निधि है, कि बात कहीं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी पर प्रकाशित स्मारिका एवं महाविद्यालय के संचालक श्री संजीव सक्सेना द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘सरस्वती नदी आर्यावर्त का गौरव‘‘ का विमोचन मुख्य अतिथि के कर कमलों द्वारा किया गया। उद्घाटन समारोह में उपस्थित सभी माननीय अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर डॉ. पुष्पा शर्मा द्वारा उनका आभार व्यक्त किया गया।
तत्पश्चात प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजीव चौधरी विभागाध्यक्ष शारीरिक शिक्षा विभाग (पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर) ने उपयुक्त विषय पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि योग के माध्यम से शरीर और मन का विकास किस तरह किया जाता है साथ ही योग के द्वारा समग्र विकास पर जोर देते हुए योग की भूमिका का महत्व किस प्रकार आज के परिपेक्ष में आवश्यक है इसका विस्तार पूर्वक बहुत ही मंत्र मुक्त विधि से विवेचना देते हुए योग द्वारा शारीरिक एवं मानसिक अनुसंधान पर प्रकाश डाला।
द्वितीय वक्ता योग विशेषज्ञ डॉक्टर मंजू झा निदेशक (मृत्युंजय योग संस्था रायपुर) ने अपने सत्र का आरंभ ध्यान एवं प्रार्थना से कर ‘‘समग्र योगः जीवन के सभी आयामों का संतुलन‘‘ विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग चित्र वृत्ति और निरोध का महत्वपूर्ण स्थान होता है जिसमें की मन का महत्वपूर्ण स्थान होता है और इसका संचालन ज्ञानेंद्रिय, कर्मेंद्रिय एवं विचारों से किया जाता है चित्र वह एक संग्रहण का कार्य करता है जो की बुद्धि के माध्यम से संचालित होता है अहंकार में अहम् और मैं की अधिकता ही सुख और दुख का अनुभव कराती है, मैं भ्रम होता है अगर यह सकारात्मक रूप में आता है तो यह आत्म सम्मान की प्राप्ति करता है और यह नकारात्मक रूप से उत्पन्न होने पर हानि उत्पन्न करता है। आपने योग जीवन जीने की बात कहते हुए कहा कि खुद को खुद से जोड़ना ही योग है।
विभिन्न प्रांतो से शिक्षकों शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया एवं प्रतिभागियों ने योग से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
समापन समारोह में पधारे मुख्य अतिथि माननीय श्री रूप नारायण सिन्हा अध्यक्ष छत्तीसगढ़ योग आयोग ने अपने उद्बोधन में सर्वप्रथम मां सरस्वती जी को वंदन करते हुए यह कहा कि हमें निरंतर चलते रहना चाहिए अगर हम सकेंगे रखेंगे तो किसी भी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकते पतंजलि योग की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में योग में जो एक नई दिशा लेकर हमारे भारतवर्ष में आया है वास्तव में यह बहुत बड़ा चमत्कार है और योग के चमत्कार को हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने विश्व स्तर पर 21 जून को लागू किया है जो की ध्यान से संबंधित है इसी संदर्भ में आप ने स्वामी विवेकानंद के योग की भी बात कही और उनके आत्मज्ञान को उन्होंने किस प्रकार जागृत किया इस पर अपने ज्ञान और ध्यान की महत्ता के महत्वपूर्ण रूप बताएं। अगर मानव निरंतर ध्यान को धारण करता है तो वह निश्चित किसी मंजिल को प्राप्त करता है साथ ही नई चीजों को प्राप्त करने में हम ध्यान और समाधि को श्रेष्ठ रूप से स्वीकार कर सकते हैं। जीवन में आप भी स्वस्थ रहें भारत को भी स्वस्थ रखें यह आपके उद्बोधन की सबसे सुंदर विचार धारा रही। आप ने महाविद्यालय को शुभकामनाएं देकर अपने उद्बोधन की समाप्ति की। इस क्रम में हमारे बीच जयंत विष्णु भारती गोस्वामी सर भी उपस्थित थे उन्होंने योग की संगोष्ठी के लिए सर्वप्रथम महाविद्यालय को बधाई दी और अपने उद्बोधन में कहा कि योग की नई शुरुआत आपका महाविद्यालय है और निरंतर छत्तीसगढ़ में योग के ऊपर कार्य हो रहे हैं और होते रहेंगे यही मेरी शुभकामनाएं हैं। योग शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकता को बल देती है और ईश्वर की अनुभूति से हमें जोड़ने का कार्य करती है। योग हमें अपने भीतर मन में उतरकर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है ध्यान मानव को मानव से जोड़ने का कार्य भी करता है।
संगोष्ठी में उपस्थित प्रतिभागियों को अतिथियांे द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया एवं प्रतिभागियों द्वारा पृष्ठ पोषण भी दिए गए। कार्यक्रम में जितेन्द्र और सर्मथ (योग प्रशिक्षक नरेन्द्र कुमार) द्वारा योग के माध्यम से मनमोहक प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. नमिता गौराहा एवं डॉ. रितिका सोनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन बी.पी.एड विभाग अध्यक्ष डॉ. मेजर सिंह एवं डॉ. ज्योति साहू संस्थापक योग ज्योति संस्थान छत्तीसगढ़ योग आयोग रायपुर द्वारा किया गया। साथ ही कार्यक्रम को सफल बनाने में बी.पी.एड. विभाग के श्री टिकेश्वर प्रसाद साहू, सुश्री मौसमी ठाकुर, डॉ. नरेंद्र गौराहा, सुश्री भीना भुआर्य एवं शिक्षा विभाग के समस्त शिक्षकों का सहयोग रहा कार्यक्रम का समापन डॉ. मेजर सिह द्वारा आभार प्रदर्शन कर राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगाठ के शुभ अवसर पर गायन द्वारा समापन किया गया।

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