दिपावली महोत्सव से विद्यालय मे दिखी भारतीय संस्कृति की छटा, बेगलेश डे का सार्थक प्रयोग, बच्चों ने जाना भारतीय संस्कृति का वैज्ञानिक महत्व ,बेगलेश डे पर निकली कुम्हलेश्वर गौरा की बारात

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शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुम्हली मे आठ नवंबर शनिवार को पांच दिवसीय दिपावली महोत्सवका हुआ आयोजन छत्तीसगढ़ शासन शिक्षा विभाग के अकादमिक कलेंडर मे निर्धारित शनिवार बेगलेश डे पर विद्यार्थियों के वैयक्तिक विशिष्टता जैसे – संगीत, चित्रकला,गायन वादन,नृत्य कविता, मिमिक्री,भाषण, अभिव्यक्ति,मृदाकला काष्टकला, यांत्रिकी आदि को निखारने के लिए कार्यशाला आयोजित किए जाते हैं। शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुम्हली मे आठ नवंबर शनिवार को पांच दिवसीय दिपावली महोत्सव का एकीकृत एकदिवसीय आयोजन कर भारतीय सनातन संस्कृति के वैज्ञानिक महत्व को बच्चों क्रियात्मक रूप मे समझाया गया।
दिपावली पर्व के पहला दिन धनतेरस भगवान धन्वंतरि की पूजा किया जाता है जो मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद के देव माने जाते हैं। द्वितीय दिवस पर भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर समाज को आसुरी शक्ति से सुरक्षा प्रदान किया। दिपावली भगवान राम के चौदह वर्ष वनवास खत्म कर अयोध्या वापस आने की खुशी मे सर्वत्र दीप जलाकर स्वागत किया गया। आध्यात्मिक दृष्टि से चौदह वर्ष मनुष्य के चौदह विकारों का प्रतीक है जिसे भगवान राम ने समुल नष्ट कर दिया। गो स्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस मे वर्णित किया है —
कौल कामबस कृपिन विमुढा, अति दरिद्र अजसि अति बुढ़ा।।
सदारोगबस संतत क्रोधी, बिष्णु विमुख श्रुति संतविरोधी।।
यह विकार ही अंधकार है जिसे ज्ञान रुपी दीपक के प्रकाश नष्ट किया जा सकता है। दिपावली पर्व का दीपक हमें यही संदेश देता है। वर्षा ऋतु मे वातावरण अनेक हानिकारक कीट फफूंदों से व्यापत हो जाता है वह दिवाली मे तेल के दियों से प्रकृति शुद्ध हो जाती है। दिपावली पर्व मनाने का एक मूल कारण नए अन्न की प्राप्ति भी है हमारे ऋषियों ने कहा है कि ” अन्न ब्रम्हनोति” अर्थात अन्न ही ब्रह्म है। किसान नई फसल पाकर ईश्वर के प्रति कृतज्ञ होकर यज्ञ करता है। ‌वेदों मे कहा गया है ” शारदीय नवसस्येस्टि यज्ञ”
यह पर्व धार्मिक के अलावा वैज्ञानिक और सामाजिक कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। इसलिए पहला दीपक अन्नागार को भेंट किए जाते हैं। गोवर्धन पूजा हमारे समृद्ध कृषि वानिकी के संरक्षण का सीख देती है। भारतीय समाज गौवंशीय हैं। हमारे दैनिक जीवन की शुरुआत गौ माता की कृपा से होती है। भारतीय आयुर्विज्ञान का प्रमाणित तथ्य है कि सबसे संतुलित आहार गौ माता की दुध हैं इसलिए इसे अमृत की संज्ञा दी गई है। आज के वैज्ञानिक पीढ़ियों को बहुत संजीदगी से स्वीकार करना होगा कि गौ संस्कृति के बिना हमारा जीवन सुरक्षित नहीं है। विद्यालय के शिक्षक और छात्रों ने प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत की पूजा कर गौमाता को सुस्वादु खिचड़ी खिलाए और सोहई माला पहनाकर कर गऊ माता का आशीर्वाद प्राप्त किया। उपस्थित गांव के यदुवंशी माताओं ने भी मातर मे दोहा पारकर आनंद विभोर हो गई।छात्रों ने यदुवंशी वेषभूषा मे दोहा,कवित्त के उद्घोष के साथ जमकर काछन चढ़े पूरा परिसर और वातावरण गोकुल, वृंदावन जैसे कृष्ण गोपाल के अठखेलियों से हर्षोल्लास से भर गया।
विद्यालय मे अलग कक्षाओं मे अध्ययन रत भाई बहनों ने भाई दूज पर्व को जींवत कर दिया जब बहनों ने अपने भाईयों के कलाई पर ब्रम्हसुत्र बांधकर,भाई बहन के पवित्र रिश्तों को मजबूत करने का संकल्प लिया। भाईयों ने बहन के हिस्से का प्यार दुलार रुपए पैसे के रूप मे सगुण भेंट कर बहन के प्रति कर्तव्य पालन का संदेश दिया।
पांच दिवसीय दिपावली महोत्सव के सार्थकता को प्रतिपादित करते हुए संस्था के प्रधान पाठक श्री मती प्रभा सिंह ने कहा कि ऐसा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक आयोजन विद्यार्थियों को एक संपूर्ण जिम्मेदार भावी नागरिक बनाने की सीख देती है। साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों से सदभाव, सौहार्दपूर्ण वातावरण मे जीवन यापन के लिए मार्गदर्शन करता है। बचपन की सीखी गई बातें जीवन के विभिन्न समयों मे अभिप्रेरित भी करते रहता है। इस आयोजन के प्रभारी शिक्षक छन्नूलाल साहू ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा की अवधारणा है कि प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्टता को तराश कर उनके जीवन एवं राष्ट्र निर्माण मे सदुपयोग किया जाए । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विद्यालय सबसे उपयुक्त स्थान है। शिक्षक एवं बहुत कुशल कलाकार होता है और वह विद्यार्थियों को अपने जैसे तैयार करने की क्षमता रखता।
इस आयोजन मे विद्यालय के शिक्षक अनेश्वर चंद्राकर, यशोदा नायक,हुषन चंद्राकार, सीमा चंद्राकर । प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रीमती भुनेश्वरी साहू,सरपंच श्रीमती टिकेश्वरी ठाकुर, उपसरपंच विजय साहू, सांसद प्रतिनिधि मोगन सपहा, जी पी देशमुख, पंच निशा पटेल, मोनिका साहू, आरती साहू, पोरा डहरिया, तिहारू गहरे, पूर्व सरपंच डोमार साहू, धनेश्वर साहू। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भुनेश्वरी साहू,जमूना चंद्राकार, शशिकला चंद्राकार,मिनेश्वरी महिपाल,
एवं बड़ी संख्या मे पालक और ग्रामवासियों की की उपस्थिति रही।
शिक्षक हुषन चंद्राकार ने कार्यक्रम मे उपस्थित होकर सफल बनाने के लिए समस्त आयोजन कर्ता, उपस्थित समुदाय के प्रति आभार व्यक्त किया।

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