दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की खरसिया–नया रायपुर–परमलकसा परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों में गहरा असंतोष उभर आया है। जिला प्रशासन द्वारा 20 अगस्त 2025 को जारी आदेश में करगाडीह, पाउवारा, भानपुरी, बोरिगारका, चांदखुरी, चंगोरी, घुघसीडीह सहित कई ग्रामों की निजी भूमि पर खाता विभाजन, अंतरण, व्यपवर्तन और खरीदी-बिक्री पर रोक लगाए जाने से किसान आक्रोशित हैं।

इसी संदर्भ में शुक्रवार को ग्राम पुरई में रेलवे परियोजना से प्रभावित किसानों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपस्थित किसानों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे अपनी कृषि योग्य भूमि परियोजना के लिए किसी भी स्थिति में नहीं देंगे। किसानों ने कहा कि यह भूमि हमारे पूर्वजों की दी हुई पुश्तैनी संपत्ति है, जो हमारी आजीविका का एकमात्र स्रोत है। बिना आमसभा, बैठक व सहमति या पूर्व जानकारी के जिला प्रशासन द्वारा सर्वे कर भूमि पर प्रतिबंध लगाना किसानों के अधिकारों का उल्लंघन है।
किसानों ने यह भी कहा कि प्रशासन ने अब तक परियोजना का स्पष्ट संरेखण, मुआवजा दर और पुनर्वास नीति की जानकारी नहीं दी है। “जब तक हमें पूरी जानकारी और न्यायसंगत मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक हम अपनी भूमि नहीं देंगे,” किसानों ने कहा। उन्होंने निर्णय लिया कि जल्द ही वे जिला कलेक्टर, दुर्ग के समक्ष सामूहिक रूप से आपत्ति दर्ज कराएंगे।
बैठक में प्रभावित किसान धनेश साहू, प्रेमलाल, चिंतामणी, मनोज, कृपाराम, बिरेन्द, किशोरी लाल, गुलाबचंद, मोहनलाल, शारदा, प्रदीप कुमार, विष्णु राम, दुलार सिंह, दुर्गेश कुमार, धनश्याम सहित ग्राम पुरई, करगाडीह और बोरिगारका के अनेक किसान उपस्थित रहे।
*इस अवसर पर किसान नेता ढालेश साहू ने कहा*, “कलेक्टर दुर्ग द्वारा जारी आदेश किसानों के हितों के विपरीत है। बिना जनसुनवाई और ग्रामसभा, बैठक, पुर्व जानकारी व सहमति के कोई भी प्रशासनिक निर्णय न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। किसानों की पुश्तैनी भूमि उनकी पहचान और जीवन का आधार है, इसे किसी परियोजना के नाम पर छीना नहीं जा सकता। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि इस आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए और प्रभावित ग्रामों में खुली जनसुनवाई आयोजित की जाए।”







