दुर्ग //
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मुक्तिधामों की वर्तमान अव्यवस्था पर जताई गई कड़ी नाराजगी के बाद प्रशासनिक सक्रियता बढ़ाने की आवश्यकता बढ़ गई है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मुक्तिधाम केवल अंतिम संस्कार का स्थल नहीं हैं, बल्कि यह समाज की संवेदनशीलता और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी हैं। मृतक को अंतिम समय में सम्मान मिले और किसी भी परिवार को अंतिम संस्कार के समय असुविधा या अपमान का सामना न करना पड़े, यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

इस निर्देश के आलोक में जिला पंचायत दुर्ग की भूमिका विशेष महत्व की हो गई है। छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 52, 53 एवं 54 के अनुसार, जिला पंचायत को अपने अधीनस्थ जनपद एवं ग्राम पंचायतों के कार्यों की निगरानी और मार्गदर्शन करना अनिवार्य है। अतः जिला पंचायत दुर्ग को चाहिए कि वह सभी जनपद पंचायतों एवं ग्राम पंचायतों को निर्देशित करे कि वे मुक्तिधामों की वर्तमान स्थिति का निरीक्षण करें और तत्काल सुधारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
मुक्तिधामों में बाउंड्री वॉल, साफ-सफाई, जल निकासी, विद्युत व्यवस्था, शेड व बैठने की सुविधा, हरियाली और अन्य बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। शासन से प्राप्त फंड का उपयोग पारदर्शी और जनहित के अनुरूप होना आवश्यक है।







