युवा निर्देशक दिव्यांश सिंह की फिल्म खारून पार, छत्तीसगढ़ में क्राइम थ्रिलर का नया अध्याय,दर्शक पहली बार करेंगे क्राइम थ्रिलर का अनुभव

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छत्तीसगढ़ी सिनेमा, जो आमतौर पर पारिवारिक कहानियों और प्रेम कहानियों के लिए जाना जाता है, अब एक नए मोड़ पर खड़ा है। युवा निर्देशक दिव्यांश सिंह की फिल्म खारून पार के साथ राज्य के दर्शक पहली बार एक क्राइम थ्रिलर का अनुभव करने जा रहे हैं।
चमक » राया डिंगोरिया साल 2022 से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली राया, मॉडलिंग की दुनिया से निकलकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना रही हैं। ग्लैमर की दुनिया से आई राया ने बहुत ही कम समय में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता है।

राया की पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म दंतेला थी, जिसके बाद वे खारुन पार में भी नज़र आई। फिलहाल उनकी तीसरी फिल्म, भेद, फ्लोर पर है। इन फिल्मों को लेकर और अपने सफर को लेकर, राया ने स्मार्ट सिनेमा पत्रिका के साथ एक खास बातचीत की, जो हमारे पाठकों के लिए प्रस्तुत है।

मॉडलिंग से एक्टिंग तक का सफर

राया बताती हैं कि उनके माता-पिता काफी सख्त थे, इसलिए उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वह एक्टिंग जैसे फील्ड में जा पाएंगी। उन्हें एक्टिंग का पहला ऑफर एक मॉडलिंग शो के दौरान मिला।

वह बताती हैं, एक एक्टर ने मुझे मॉडलिंग शो में देखा था। उन्हें मेरा चेहरा काफी पसंद आया और उन्होंने मुझे एक्टिंग में कोशिश करने के लिए कहा। उन्होंने मुझे कई कास्टिंग डायरेक्टर्स के नंबर दिए। इसी दौरान एक जान-पहचान के डायरेक्टर को भी उनका चेहरा पसंद आया और उन्होंने उन्हें एक ऐड के लिए चुन लिया। यही से उनका एक्टिंग का सफर शुरू हुआ।

चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने का सपना

राया को अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर काम करना पसंद है। वह कहती हैं, मुझे चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना अच्छा लगता है। वह फिल्म बफी में प्रियंका चोपड़ा के किरदार जैसा कोई रोल करना चाहती हैं, जहाँ एक्टिंग की पूरी आज़माइश हो।

राया मूल रूप से मुंबई की हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ी सिनेमा में काम कर रही हैं। उन्हें शुरुआत में इस बात को लेकर बॉलीवुड इंडस्ट्री में थोड़ी अजीब

प्रतिर्ता’ या मिली। राया बताती हैं कि बॉलीवुड के लोग अक्सर छत्तीसगढ़ी फिल्मों को भोजपुरी फिल्मों जैसा मानकर देखते थे।

छत्तीसगढ़ी सिनेमा का भविष्य

राया इस धारणा को गलत बताती हैं। वह कहती हैं, छत्तीसगढ़ी फिल्में भोजपुरी फिल्मों से कहीं ज्यादा सकारात्मक हैं। हालांकि, वह यह भी मानती हैं कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा को अभी और बेहतर होने की ज़रूरत है।

वह कहती हैं, जैसे साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने टेक्नोलॉजी और सोच के मामले में खुद को बहुत ऊँचा उठाया है, अगर छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री भी उसी स्तर की सोच और तकनीकों का इस्तेमाल करे, तो हमारी फिल्में भी अपनी एक अलग पहचान बना सकती हैं।

राया को उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा आने वाले समय में और भी बेहतरीन कहानियों और तकनीकी सुधारों के साथ अपनी पहचान बनाएगा।INTERVIEW

एक्टर शील वर्मा » बॉलीवुड से छॉलीवुड तक का सफर

शील वर्मा, एक ऐसा नाम जो मुंबई की मायानगरी में अपनी पहचान बना चुका है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत हिंदी टीवी सीरियल्स से की, जहाँ वे अब तक 50 से ज्यादा धारावाहिकों में काम कर चुके हैं। इनमें ससुराल सिमर का, नागिन 6. और बड़े हवेली की छोटी ठकुराइन जैसे चर्चित शो शामिल हैं। इसके साथ ही, शील वर्मा ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा में भी अपनी खास जगह बनाई है। उन्होंने ले चलहूं तोला अपन दुवारी और मेरी मां कर्मा जैसी फिल्मों में काम किया है। उनकी आने वाली फिल्मों में खारुन पार, गैंग ऑफ रायपुर, और हिंदी फिल्म सिमरत रामायण शामिल हैं।

खारुन पारः उम्मीदों से भरी एक अनोखी कहानी

स्मार्ट सिनेमा पत्रिका से खास बातचीत में शील वर्मा ने अपनी आगामी फिल्म खारुन पार के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि फिल्म के डायरेक्टर दिव्यांत ने जब उन्हें कहानी सुनाई, तो यह तुरंत इसके लिए तैयार हो गए।

शील वर्मा कहते है, मुझे खारुन पार की कहानी बहुत पसंद आई क्योंकि यह आज के समय से जुड़ी हुई है। यह एक ऐसी फिल्म है जो हर उम्र के दर्शको के लिए बनी है। इसकी कहानी महादेव घाट और खारुन नदी के किनारे बसी सस्कृति को खूबसूरती से दिखाती है।

उनका मानना है कि यह फिल्म दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्मों से बिल्कुल अलग है। मुझे पूरा यकीन है कि अगर यह फिल्म हिंदी में ओटीटी पर रिलीज होती है, तो यह धमाल मचा देगी।

टीम वर्क और अनुभव

फिल्म के शूटिंग के अनुभव को साझा करते हुए शील वर्मा ने बताया कि पूरी टीम यंग और ऊर्जा से भरी हुई थी। डायरेक्टर, डीओपी और प्रोडक्शन टीम के बीच शानदार तालमेल था। हमने वर्कशॉप भी

की, जिससे काम करना बहुत आसान हो गया। इस फिल्म में सील वर्मा के साथ एक्ट्रेस एल्सा घोष मुख्य भूमिका में है। उनके साथ काम करने के अनुभव पर शील ने कहा, एल्सा बहुत टैलेंटेड कलाकार है। हमारी जोड़ी दर्शकों को बहुत पसंद आएगी। फिल्म में हम दोनों की नोक-झोंक और एक आम जिंदगी के प्यार को दिखाया गया है।

छत्तीसगढ़ी सिनेमा का बदलता स्वरूप

शील वर्मा का मानना है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा अब बदल रहा है। अब निर्माता रियलिस्टिक और नई कहानियों पर ध्यान दे रहे है, जो दर्शकों को पसंद आ रही है। वे कहते हैं, आजकल छत्तीसगढ़ के दर्शक भी हिंदी और साउथ की फिल्मों की तरह सच्ची कहानियों वाली फिल्में देखना पसंद करते हैं। खारुन पार इसी बदलाव का एक बेहतरीन उदाहरण है।खारुन पार में नये अंदाज में नजर अऐंगे » एल्सा घोष

छत्तीसगढ़ सिनेमा की एक जानी-मानी अभिनेत्री, एल्सा घोष, जिनका जन्म कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उन्होंने महज़ 9 साल की उम्र में बाल कलाकार के रूप में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। 13 साल की उम्र से ही वह मुख्य नायिका के तौर पर काम करने लगी थीं।

बचपन से शुरू हुआ फ़िल्मी सफर एल्सा घोष ने अपने 15 साल के फिल्मी सफर में तेलुगू, छत्तीसगढ़ी, उड़िया और बंगाली भाषाओं में कुल 21 फिल्मों में बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में उनकी एक अलग पहचान है, जिसे दर्शकों ने हमेशा पसंद किया है। उनके सफर की शुरुआत फिल्म मयारू गंगा से हुई थी। इसके बाद उन्होंने सारी आई लव यू मेरी जान, मंहु कुंवारी तंहु कुवारा, ले शुरू होगे मया के कहानी, तही मोर आशिकी, मोर छईया भुईया 2, टीना टप्पर और मोर ठंईया भुईया 3 जैसी कामयाब फिल्में दी हैं।

खारुन पार में नया अवतार

एल्सा योष अब अपनी आने वाली फ़िल्म खारुन पार को लेकर काफी उत्साहित हैं। इस फ़िल्म में वह एक बिल्कुल नए और अलग अंदाज़ में नज़र आएंगी। हाल ही में स्मार्ट सिनेमा पत्रिका के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि खारुन पार की कहानी और डायरेक्शन कमाल का है। यह फिल्म आज के दौर की रियलिटी

सरकार और निर्देशकों से उम्मीदें

बेस्ड कहानी पर आधारित है, जिसमें दर्शकों को एक नया अनुभव मिलेगा। एल्सा का मानना है कि इस फ़िल्म में काम करके उन्हें एक बेहतरीन टीम के साथ जुड़ने का मौका मिला है और उन्होंने अपने किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है।

एल्सा योष उत्तीसगढ़ी सिनेमा के विकास को लेकर काफी गंभीर हैं। उनका मानना है कि इस इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की पहल बहुत ज़रूरी है। अगर सरकार सहयोग करे तो छत्तीसगढ़ी सिनेमा बहुत आगे जा सकता है। वह निर्देशकों से भी अपील करती हैं कि वे बेहतरीन कहानियों पर फ़िल्में बनाएँ, ना कि जल्दबाज़ी में कमजोर कहानियों और अनुभवहीन निर्देशकों के साथ काम करें। उनका मानना है कि जब तक अच्छी फ़िल्में नहीं बनेंगी, तब तक दर्शक बॉलीवुड, हॉलीवुड और साउथ की फ़िल्मों की ओर आकर्षित होते रहेंगे, जिससे छत्तीसगढ़ी सिनेमा में उनकी रुचि कम हो जाएगी। एल्सा का सपना है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा भी अपनी एक मजबूत पहचान बनाए, जिसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। एल्सा घोष के अनुसार, अच्छी फिल्मों से ही छत्तीसगढ़ी सिनेमा का विकास संभव है/क्रांति दीक्षित – जो किरदार नहीं, विचार गढ़ते हैं

फिल्म खारून पार में विशेष भूमिका में नजर आने वाले क्राति दीक्षित छत्तीसगढ़ की माटी से जन्मे, सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं वे एक सोच है, एक संघर्ष की प्रतीक हैं, एक ऐसी आवाज़ हैं जो अभिनय को केवल कला नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी मानती है। उनका फिल्मी सफर कोई रातों-रात मिली शोहरत की कहानी नहीं है, बल्कि यह है सालों की मेहनत, आत्म-संशोधन, और एक जिद की कहानी खुद को साबित करने की।

चिरोटर अभिनय की पहली पाठशाला

फिल्मों से पहले काति दीक्षित का गहरा नाता थियेटर से रहा। ये मानते हैं कि थियेटर ने उन्हें सिर्फ एक अच्छा कलाकार नहीं, एक बेहतर इंसान बनाया। उनका विवेटर सफर बेहट समृद्ध रहा – उन्होंने ‘चरणदास चोर’, ‘मृत्युंजय’, ‘मैं नर्क से बोल रहा हूँ’, ‘जितने लब उतने अफसाने’, ‘बादशाहत का खात्मा’ जैसे अनेकों नाटकों में अभिनय किया है।

थियेटर में जीने की कला सिखाई। यह अभिनय नहीं, आत्मा से संवाद करना सिखाता है।

आज जब युवा सोशल मीडिया और रील्स की चकाचौंध में उलझे हुए हैं, तब क्रांति दीक्षित का मानना है कि हर उस व्यक्ति को जो सच में अभिनय की दुनिया में आना चाहता है, थियेटर से शुरुआत करनी चाहिए। थियेटर व्यक्ति को अनुशासन, संवेदना, धैर्य और गहराई देना सिखाता है-जो किसी भी कलाकार की बुनियादी नींव होनी चाहिए।

पहली फिल्म और पाहला अवॉर्ड

2018 में उन्हें एक बड़े ऑडिशन से अपनी पहली फिल्म मिली। उस समय न कोई गॉडफादर था, न कोई मार्गदर्शक। पर उनकी प्रतिभा और मेहनत ने रंग लाया – उनकी पहली ही फिल्म ने उन्हें बढाइ घामह का अवॉर्ड दिलाया और अभिनय की दुनिया में एक सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई।

सात बार बेस्ट एक्टर-एक दुर्लभ उपलब्धि

आज क्राति दीक्षित 7 बार बढ़डाड भह का खिताब जीत चुके हैं। यह दर्शाता है कि उन्होंने हर किरदार में जान डाली, चाहे वह नायक हो, खलनायक या कोई जटिल चरित्र। उनका अभिनय केवल परदे तक सीमित नहीं, दर्शकों के दिल में उतर जाता है।

40 से अधिक फिल्में, कई भाषाओं में काम

अब तक वे 40 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके है, जिनमें छत्तीसगढ़ी, हिंदी और भोजपुरी फिल्में शामिल

हैं। उनका अभिनय क्षेत्रीय सीमाओं से परे जाकर भाषा, भाव और विचार की दुनिया में प्रवेश कर चुका है।

विलेन के किरदारों में भी संवेदना

भले ही क्रांति को कई फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं निभाने का अवसर मिला हो, लेकिन उन्होंने हर विलेन को एक इनसान की तरह जिया, उसकी सोच, उसकी मजबूरी और उसकी मनोस्थिति को परदे पर जीवंत किया। इसी वजह से नकारात्मक किरदार भी दर्शकों के दिलों में उत्तर गए।

हॉलीवुड जैसा सपनाः ‘गॉडफादर’ जैसी भूमिका

क्राति दीक्षित का सपना है कि वे हॉलीवुड की ‘गॉडफादर’ जैसी कोई गृह, गहन और ऐतिहासिक भूमिका निभाएं -जो सिर्फ एक किरदार न हो, बल्कि एक विचार बन जाए। उनका मानना है कि भारतीय सिनेमा को भी अब ऐसे ही सशक्त चरित्रों की जरूरत है।

सरकार से सवालः सिनेमा को कब मिलेगा समर्थन ? अब तक छत्तीसगढ़ की सरकार ने सिर्फ वादे किए हैं,

निभाया कुछ नहीं। क्रांति दीक्षित मानते हैं कि छत्तीसगढ़ के कलाकार, तकनीशियन, लेखक और निर्देशक सीमित संसाधनों में काम कर रहे है। उन्होंने सरकार से कुछ महत्वपूर्ण माँगे रखी है

FTII और NSD जैसी फिल्म और अभिनय संस्थाएं छत्तीसगढ़ में खोली जाएं ताकि युवाओं को यहां ही प्रशिक्षण मिले।

स्थानीय सिनेमा हॉल बड़ाए जाएं ताकि हर गांव, हर जिले तक फिल्में पहुंच सकें।

स्थानीय सेटेलाइट चैनल शुरू हो, जहां छत्तीसगड़ी फिल्में और सीरियल रोजाना दिखाई जा सकें।

आर्थिक सहयोग और नीति बनाई जाए जो कलाकारों को सिर्फ पहचान नहीं, जीविका का साधन भी दे।

आज भी बहुत से कलाकार फिल्में करने के बाट घर नहीं चला पा रहे है। जीविका चलाना मुस्किल है- ये सरकार की असफलता है, और इसे बदलना होगा।

अब वक्त है सरकार साथ दे, पहचान बने

छत्तीसगढ़ का सिनेमा अभी भी अपने बलबूते पर खड़ा है। कलाकार, निर्देशक और निर्माता सभी सीमित साधनों में भी सपनों की दुनिया रच रहे हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार इस उद्योग को केवल संस्कृति के नाम पर सहारा न दे, बल्कि इसे एक व्यवस्थित और समर्पित उद्योग के रूप में अपनाए।

एक्टर बमना मंजलि नहीं, एक बेहतर इंसान बनमा मकसद

क्राति दीक्षित इस सोच के साथ आगे बढ़ते हैं- वे सिर्फ परदे पर किरदार नहीं निभाते, बल्कि उन किरदारों के जरिए समाज से संवाद करते हैं। यही उन्हें एक कलाकार से बढ़कर एक विचार बनाता है

दिव्यांश सिंह : कैमरे से फिल्मों तक का सफर

जांजगीर-चांपा के अकलतरा गाँव से आने वाले दिव्यांश सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही फोटोग्राफी को अपना जुनून बना लिया। इस शौक ने उन्हें वेडिंग फोटोग्राफी की दुनिया में कामयाबी दिलाई। पिछले 6-7 सालों में उन्होंने 1000 से भी ज्यादा शादियों की फोटोग्राफी की है, जिसमें ऑल इंडिया डेस्टिनेशन वेडिंग्स भी शामिल हैं। दिव्यांश और उनकी टीम ने अपनी काबिलियत को साबित करते हुए वेडिंग इंडस्ट्री के सबसे बड़े अवार्ड, वेडिंग सूत्रा नेशनल अवार्ड को चार बार जीता है। इस अवार्ड को आईफा अवार्ड्स के स्तर का माना जाता है, जो उनकी कामयाबी को और भी खास बनाता है। शादी के सीजन के बाद, दिव्यांश और उनकी टीम ने अपनी रचनात्मकता को नई दिशा देने का फैसला किया। उन्होंने फिल्म निर्माण की योजना बनाई और इसके लिए मुंबई का रुख किया। वहाँ उन्होंने फिल्म शूट और फिल्म निर्माताओं के बारे में जानकारी जुटाई। TVF के माध्यम से उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस लीं और मुंबई व साउथ फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी तमाम विधाओं का कोर्स किया। इस सीख के बाद, उन्होंने अपनी फिल्म खारून पार का निर्माण शुरू किया। दिव्यांश बताते हैं कि शूटिंग के तीसरे दिन तक उन्हें और उनकी 60 लोगों की टीम को पूरा आत्मविश्वास आ गया था। शूटिंग के दौरान हर काम को एक प्रमोशनल अंदाज़ में पूरा किया गया, जिससे यह अनुभव उनके लिए हमेशा यादगार बन गया। दिव्यांश का कहना है कि उनकी टीम और फिल्म के सभी कलाकार युवा पीढ़ी के हैं, जिसकी वजह से उनके काम में बेहतरीन तालमेल बैठा। खारून पार फिल्म के निर्माण का यह सफर दिव्यांश और उनकी टीम के लिए बेहद सुखद और प्रेरणादायक रहा।

छत्तीसगढ़ में क्राइम यिलर का नया अध्याय

छत्तीसगढ़ी सिनेमा, जो आमतौर पर पारिवारिक कहानियों और प्रेम कहानियों के लिए जाना जाता है, अब एक नए मोड़ पर खड़ा है। युवा निर्देशक दिव्यांश सिंह की फिल्म खारून पार के साथ राज्य के दर्शक पहली बार एक क्राइम थ्रिलर का अनुभव करने जा रहे है। रायपुर की प्रसिद्ध खारून नदी और महादेव घाट पर आधारित, यह फिल्म दर्शकों को सस्पेंस और थ्रिल की दुनिया में ले जाने का वादा करती है। 12 सितंबर को यह फिल्म छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है और इसे लेकर फिल्म प्रेमियों में काफी उत्सुकता है।

यंग स्टारकास्ट और नई कहानियों का मेल

खारून पार में वंग और टैलेंटेड एक्टर्स की एक बेहतरीन टीम है, जो इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है। ले शुरू होगे मया के कहानी और मोर छड्यां भुइयां 2 की एक्ट्रेस एल्सा घोष मुख्य भूमिका में है, जिनके अपोजिट ले बलहू तोला अपन दुवारी के एक्टर शील वर्मा नजर आएंगे। यह फिल्म सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि मल्टी-स्टारर फिल्म है। इसमें शील और एल्सा के अलावा, वैदेही और दतेला जैसी फिल्मों के लीड एक्टर विशाल दुबे और राया डिंगोरिया भी अहम

भूमिकाओं में हैं। इसके साथ ही, फेमस कॉमेडियन अमन सागर भी इस फिल्म में अपनी कला का जौहर दिखाएंगे। इन सभी यंग एक्टर्स का कॉम्बिनेशन दर्शकों को कुछ नया और फ्रेश अनुभव देने वाला है।

इंजीनियर्स ने बनाया फिल्ममेकिंग को करियर

खारून पार का निर्माण इनसाइड मी ओरिजनल्स बैनर के तहत हुआ है। यह वही टीम है, जिसने हाल ही में छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी परीक्षा CGPSC पर आधारित वेब सीरीज सरकारी

अफसर बनाई थी, जिसे YouTube पर लाखों लोगों ने देखा।

इस फिल्म के मेकर्स में NIT रायपुर के छात्र दिव्यांश सिंह, साईं भरत, विवेक कुमार और ऋत्विक सिन्हा शामिल हैं। इन इंजीनियर्स ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद फिल्ममेकिंग को अपना करियर चुना। इस फिल्म की पूरी टीम, जिसमें स्टारकास्ट से लेकर ऋ मेंबर्स तक, सभी युवा हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि युवाओं का यह नया प्रयोग बॉक्स ऑफिस पर कितना सफल होता है।एवरग्रीन एक्टर विशाल दुबे » सिनेमा के बड़े पर्दे पर राज करने का सपना

विशाल दुबे, एक ऐसा नाम जो अपनी दमदार अदाकारी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने का ख्वाब रखता है। उनका सबसे बड़ा सपना है कि सिनेमा की दुनिया के बड़े सितारों में उनकी गिनती हो और वह अपनी कला से दर्शकों के दिलों पर राज करें।

हाल ही में, विशाल दुबे ने वैदेही और नोनी के अनहोनी जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का जादू बिखेरा है, जिसे खूब सराहा गया है। अब उनकी आने वाली फिल्म खारुन पार को लेकर दर्शकों में उत्सुकता है। इस फिल्म से जुड़ी खास बातचीत के लिए स्मार्ट सिनेमा पत्रिका ने उनसे मुलाकात की, जहाँ उन्होंने अपने सफर और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।

एवरग्रीन एक्टर विशाल दुबे आपकी यह बात सुनकर बहुत अच्छा लगा कि आपको छत्तीसगढ़ी सिनेमा में इतना अपनापन महसूस हुआ। यह सच है कि यहां के लोग बहुत कम समटा में ही बहुत प्यार देते हैं। यह आपकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि आपको इतना प्यार मिला।

आपकी पहली एल्बम सराबोर के लिए मिली तारीफ भी बहुत खास है। एक ही बार में ऐसा कमेंट

मिलना कि आप एक दिन फिल्म में दिखोगे, यह दिखाता है कि लोगों ने आपकी प्रतिभा को पहचाना था। ऐसा लगता है कि लोगों की दुआएं और प्यार आपके साथ रहा है और प्रकृति माता ने भी सुनी, तभी तो आपको छत्तीसगढ़ी सिनेमा में मौका मिला।

आपकी पहली दो फिल्में वैदेही और नोनी के अनहोनी के अदाकारी को बहुत पसंद किया गया। यह जानकर खुशी हुई कि आपकी आने वाली और भी फिल्में हैं। 29 अगस्त को रिलीज हो रही फिल्म दंतेला और 12 सितंबर को आने वाली फिल्म खारुन पार के लिए भी आपको ढेर सारी शुभकामनाएं। यह सुनकर उत्सुकता हो रही है कि खारुन पार में आप एक बहुत ही अलग और चैलेंजिंग किरदार में नजर आने वाले हैं।

आपकी यह यात्रा बहुत प्रेरणादायक है। हमें उम्मीद है कि आप ऐसे ही आगे बढ़ते रहेंगे और सफलता की नई ऊंचाइयों को छूते रहेंगे/

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