रिपोर्टर – मो युसूफ खान दुर्ग ग्रामीण
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अंडा // दुर्ग // 15वें वित्त आयोग की धनराशि के वितरण में भेदभाव के गंभीर आरोपों ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत सरकार के पंचायत राज मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार से तत्काल जांच और कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। मंत्रालय ने अपने आधिकारिक पत्र में स्पष्ट किया है कि यह मामला न सिर्फ वित्तीय पारदर्शिता बल्कि संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन से भी जुड़ा है।

*क्या है पूरा मामला?*
यह शिकायत दुर्ग जिले के जनपद पंचायत सदस्य ढालेश साहू ने की है। 8 जुलाई को केंद्र सरकार को भेजे गए अपने पत्र में साहू ने आरोप लगाया था कि राज्य में पंचायतों को आवंटित 15वें वित्त आयोग की राशि का वितरण संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए किया गया है। उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई, जिससे कई पात्र पंचायतों को उनका वाजिब हिस्सा नहीं मिल पाया।
*केंद्र का सख्त रुख*
केंद्रीय मंत्रालय ने इस शिकायत को सीधे छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया है। मंत्रालय के अवर सचिव ने पत्र में कहा है कि इस मामले में न केवल त्वरित कार्रवाई की जाए, बल्कि इसकी विस्तृत रिपोर्ट मंत्रालय को भी भेजी जाए। साथ ही, शिकायतकर्ता ढालेश साहू को भी की गई कार्रवाई की जानकारी दी जाए।
*यह पहला मौका है* जब 15वें वित्त आयोग की राशि के वितरण पर केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। केंद्रीय हस्तक्षेप के बाद अब राज्य सरकार पर इस संवेदनशील और संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण मामले में पारदर्शी और जवाबदेह कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।







