



दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री विजय बघेल ने लोकसभा के मानसून सत्र में छत्तीसगढ़ की दो आदिवासी बेटियों से जुड़ी एक संवेदनशील घटना को शून्यकाल के दौरान संसद में मजबूती से उठाया। उन्होंने सदन को अवगत कराया कि दिनांक 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो भोली-भाली आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया गया।
सांसद बघेल ने बताया कि इन लड़कियों को आगरा ले जाने के लिए टिकट भी कराया गया था। जब वहां मौजूद कुछ सतर्क नागरिकों ने हस्तक्षेप किया, तो एक लड़की रो रही थी और डरी-सहमी सी दिख रही थी। पूछताछ पर उसने बताया कि उसे जबरदस्ती लाया गया है और वह अपने घर जाना चाहती है।
तुरंत उसके परिवार और जीजा से संपर्क किया गया और जीआरपी पुलिस को सूचित किया गया। मौके पर बजरंग दल के कार्यकर्ता व स्थानीय जिम्मेदार नागरिक भी पहुँचे। सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना फैलते ही बड़ी संख्या में लोग स्टेशन पर एकत्र हो गए।
सांसद बघेल ने इस पूरी घटना में संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों नन जो लड़कियों को लेकर आई थीं, उनमें एक जबलपुर और दूसरी आगरा की रहने वाली हैं। ये दोनों पहली बार छत्तीसगढ़ आई थीं और कहीं और न रुकते हुए सीधे दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुँचीं, जो कई सवाल खड़े करता है।
उन्होंने इस घटना को राजनीतिक रूप देने और छत्तीसगढ़ सरकार को बदनाम करने के लिए कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है। उन्होंने विशेष रूप से केरल के कांग्रेस सांसदों, नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा के ट्वीट्स को भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया।
सांसद बघेल ने संसद में सवाल उठाया, “क्या हम छत्तीसगढ़ की आदिवासी बेटियों की सुरक्षा नहीं करेंगे? जब केरल की बेटी हमारे राज्य में आती है तो हम उसका सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी बेटियों के साथ जब ऐसा होता है तो कुछ लोग राजनीति करने लगते हैं।”
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की अस्मिता और बेटियों की सुरक्षा का विषय है, जिस पर राजनीति नहीं, संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

