जनपद पंचायत दुर्ग में 15वें वित्त आयोग की राशि आवंटन में गंभीर अनियमितता का होगा खुलासा, 11 निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रस्ताव प्रक्रिया से बाहर रखने पर उठे सवाल, RTI से खुलेगी परतें -ढालेश साहू

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संवाददाता – मो युसूफ खान दुर्ग ग्रामीण
Ⓜ️ 9179799491

जनपद पंचायत दुर्ग क्षेत्र क्रमांक 24 के जनप्रतिनिधि और किसान नेता ढालेश साहू द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जनसूचना अधिकारी को दिये आवेदन से एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का मामला उजागर हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि 15वें वित्त आयोग वर्ष 2024–25 एवं 2025–26 की राशि हेतु विकास कार्यों के लिए 24 निर्वाचित सदस्यों में से केवल 13 सदस्यों के प्रस्ताव ही स्वीकार किये गये, जबकि शेष 11 सदस्यों को इस प्रक्रिया से वंचित कर दिया गया।

*ढालेश साहू ने आवेदन के माध्यम से यह मांग की है कि—*

1. क्या 11 निर्वाचित सदस्यों को 15वें वित्त आयोग की योजना से वंचित रखने के लिए कोई लिखित शासन निर्देश, परिपत्र, विभागीय आदेश अथवा आंतरिक प्रक्रिया मौजूद है? यदि हाँ, तो उसका प्रमाण प्रस्तुत किया जाये।

2. यदि ऐसा कोई आदेश या नीति पत्र नहीं है, तो किन मानकों के आधार पर केवल 13 सदस्यों के प्रस्तावों को ही स्वीकृति प्रदान की गई?

3. क्या 15वें वित्त आयोग की राशि हेतु प्रस्ताव मांगने की सूचना सभी 24 निर्वाचित सदस्यों को दी गई थी? यदि हाँ, तो 11 वंचित सदस्यों को भेजे गए पत्रों की प्रतिलिपि प्रस्तुत की जाए।

4. यदि 11 सदस्यों से प्रस्ताव नहीं मांगा गया, तो यह निर्णय किस स्तर पर, किस अधिकारी या समिति द्वारा लिया गया? उसकी प्रक्रिया, आदेश, नोटशीट और निर्णय की प्रति मांगी गई है।

5. क्या प्रस्ताव मांगने की प्रक्रिया जनपद पंचायत स्तर पर लिखित रूप में संचालित हुई थी? संबंधित शासकीय/विभागीय आदेश संलग्न कर जानकारी मांगी गई है।

6. और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न, क्या 15वें वित्त आयोग के निधि में सभी निर्वाचित सदस्यों को समान अधिकार होता है या कुछ सदस्यों की प्राथमिकता तय करने की नीति है? यदि हाँ, तो उस नीति की प्रमाणित प्रति भी मांगी गई है।

श्री साहू ने अपने आवेदन में इस चयन प्रक्रिया को अमान्य, पक्षपातपूर्ण और अपारदर्शी करार देते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से विस्तृत जवाब एवं दस्तावेजीय प्रमाण उपलब्ध कराने की मांग की है।

जनता के अधिकार और पारदर्शिता की मांग को लेकर यह पहल जनप्रतिनिधियों के लिए एक मिसाल बन सकती है।

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