



डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर में बीते शुक्रवार को हुए हादसे के बाद रोप-वे का संचालन बंद कर दिया गया है। एक्सपर्ट इंजीनियरों के आने के बाद जांच उपरांत ही संचालन शुरू होने की बातें कही जा रही है। ऐसे में मां का दर्शन करने डोंगरगढ़ पहुंचने वाले भक्तों को अग्निपरीक्षा से होकर गुजरना पड़ रहा है। हीटवेव के इस दौर में जहां तापमान 40 डिग्री से अधिक पर रहा है। भक्तों को लगभग 11 सौ सीढ़ियों को चढ़कर ही मां के दर्शन मिल रहे हैं। यही कारण है कि आम दिनों के मुकाबले दर्शानार्थियों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है।
ज्ञात हो कि इस मामले में जहां प्रशासन ने अपनी टीम बनाकर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। वहीं डोंगरगढ़ थाना में भी रोप-वे संचालन समिति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जिसकी भी जांच चल रही है। उल्लेखनीय है कि बीते शुक्रवार को जब भाजपा नेता रोप-वे के जरिये मां के दर्शन कर वापस लौट रहे थे, उस दौरान ट्रॉली हादसे का शिकार हो गई थी। इस हादसे में भाजपा के प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा को गंभीर चोटें भी आई। उनके अलावा सेवक राम कंवर , दया सिंह सहित छह लोग सवार थे, जिन्हें हल्की चोंट आई थी। इस मामले के बाद ही प्रशासन एवं मंदिर ट्रस्ट ने रोप-वे का संचालन बंद करवा दिया है। पिछले तीन दिनों से मंदिर दर्शन के लिए पहुंचने वाले भक्तों को पैदल ही जाना पड़ रहा है। जिसकी वजह से अब श्रद्धालुओं की घटती संख्या व्यापारियों के लिए भी चिंता का कारण बन गई है।
14 ट्रॉली, 14 का स्टॉफ
दर्शकों को रोप-वे की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा करीब 14 ट्रॉली लगाए गए हैं। इन ट्रॉली के जरिये ही श्रद्धालु मंदिर आना-जाना करते हैं। रोप-वे के संचालन की जिम्मेदारी 14 लोगों के टेक्निकल स्टॉफ के भरोसे है। इसके अलावा मंदिर समिति के भी कुछ सदस्य संचालन में मदद करते हैं, जिस समय यह हादसा हुआ, उस वक्त कर्मचारियों का भोजन अवकाश चल रहा था।
छुट्टी में 3-4 हजार आते थे श्रद्धालु
मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार, आम दिनों में लगभग हजार से 12 सौ लोग रोप-वे से आना-जाना करते हैं। वहीं छुट्टियों के दिन एवं शनिवार-रविवार को यह संख्या तीन गुना तक बढ़ जाती है। छुट्टियां रहने पर लगभग तीन से चार हजार श्रद्धालु रोप-वे का सहारा मंदिर पहुंचने के लिए लेते हैं। इनमें अधिक दूरी तक चलने में असमर्थ, बुजुर्ग एवं बच्चों की संख्या अधिक होती थी, लेकिन अब रोप-वे का संचालन बंद होने से से ऐसे श्रद्धालुओं की दिक्कतें बढ़ गई है।
कोलकाता से आ रहे इंजीनियर रोप-वे में हुए हादसे के
बाद कंपनी के एक्सपर्ट इंजीनियर कोलकाता से आ रहे हैं। उन इंजीनियरों के आने बाद ट्रॉली एवं सिस्टम की जांच की जाएगी। इसके साथ ही प्रशासन की टीम भी मामले की जांच कर रही है। जांच पूरी होने के बाद रोप-वे संचालन के लिए दोबारा फिटनेस सर्टिफिकेट की मांग की जाएगी। एनआईटी की जांच में सब कुछ सही पाए जाने के बाद यह सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में अगले 3 से 5 दिन लग सकते हैं। ऐसे में इससे पहले रोप-वे का संचालन शुरू हो पाना मुश्किल लग रहा है