हालात से विवश बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर पहुँचाया मुक्तिधाम , इकलौते भाई ने किया मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार , किसी ने साथ नहीं दिया , मजबूरी ऐसी की पूरे भरे बसे गांव में इनके लिए दाना पानी भी नहीं , कंहा की है ये हृदयविदारक घटना ,आखिर क्या था मामला देखे ये रिपोर्ट

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महासमुंद। जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. यहां के सालडबरी गांव में दो बेटियों ने मजबूरी में अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचाया और इकलौते भाई के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया. हैरानी की बात यह है कि पूरा गांव और रिश्तेदार भी तमाशबीन बनकर मंजर को देखते रहे पर किसी ने साथ नहीं दिया. मजबूरी ऐसी की पूरे भरे बसे गांव में इनके लिए दाना पानी भी नहीं है. यह किसी हिन्दी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. यह कहानी उस गरीब परिवार की जो पिछले 1 साल से ग्राम बहिष्कार का दंश झेल रहा है.
‘राम नाम सत्य है’ बोलने वाली ये दोनों विवाहित महिलाएं सगी बहनें हैं और मायके आकर पिता की अर्थी उठाकर मुक्तिधाम जा रही हैं. इन दोनों बहनों ने अपने भाई के साथ अपने पिता का अंतिम संस्कार भी किया. यह पूरा मामला महासमुंद जिले में बागबाहरा ब्लाक के ग्राम सालडबरी का है. पिछले साल अक्टूबर माह मे एक धार्मिक आयोजन के दौरान ग्राम के पटेल 75 वर्षीय हिरण साहू और उनके परिजनों का गांव मे दबंगों से विवाद हो गया. जिसके चलते उन्हे तत्काल जुर्माना नहीं भरने पर ग्राम बहिष्कार की सजा दे दी गई. गांव से बहिष्कृत होने के बाद उनका जीवन नरक बन गया. इस दुखद घटना की जानकारी मृतक के बेटे तामेश्वर साहू ने दी.

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