



साल 1973 अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी के जीवन का रीति काल रहा है। दोनों की मोहब्बत भी जोरों पर थी और दोनों के सितारे भी कम जोर पर नहीं थे। दोनों का विवाह इसी वर्ष 3 जून को हुआ। शादी से ठीक पहले दोनों की फिल्म ‘जंजीर’ सुपरहिट हुई। जया तो खैर तब तक खुद ही सुपरस्टार बन चुकी थीं। अमिताभ के लिए ‘जंजीर’ का हिट होना किसी ईश्वरीय आशीर्वाद से कम नहीं था। दोनों की शादी के ठीक बाद 27 जुलाई 1973 को रिलीज हुई फिल्म ‘अभिमान’ में अमिताभ की आभा और उनका रूप दर्शनीय था तो जया का लावण्य और मोहक चेहरा फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण बना।
फिल्म ‘आनंद’ में तब के उभरते सितारे अमिताभ बच्चन को उस दौर के सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ मौका दे चुके निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी को कुछ कुछ तो समय का अंदाजा भी था और आने वाले समय का भान भी। तभी तो फिल्म की शुरुआत हाउसफुल के बोर्ड से होती है। फिल्म के मुख्य किरदार गायक सुबीर के हाउसफुल शो के बोर्ड से। फिल्म ‘अभिमान’ की कहानी सुबीर और उमा की कहानी है। दोनों बहुत ही अच्छा गाते हैं। सुबीर के तमाम चाहने वाले हैं। इन चाहने वालों में से कुछ चाहने वाले आधी रात को फोन पर बतियाने की कामना रखने वाली देह कंचनाएं भी हैं। सुबीर हिट सिंगर है। और, उसकी मुलाकात एक दिन उमा से होती है। उमा और सुबीर संगीत को लेकर दो अलग अलग ध्रुवों जैसी सोच रखने वाले प्राणी हैं। लेकिन विपरीत के आकर्षण का नियम यहां लागू होता है और दोनों शादी कर लेते हैं।
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रिश्तों की दरार ‘अभिमान’
रिसेप्शन में ही दोनों के जीवन में आने वाले तूफान का संकेत मिल जाता है और तूफान तब आता है जब लोग सुबीर से ज्यादा उमा की आवाज पसंद करने लगते हैं। सुबीर को ये पचता नहीं है। दोनों में झगड़ा होता है। उमा घर छोड़कर अपने मायके आ जाती हैं, जहां उसे पता चलता है कि वह मां बनने वाली है। सुबीर का गुस्सा और बढ़ता है कि उमा ने ये बात उसे बताई क्यों नहीं। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर होता है। उमा का गर्भपात हो जाता है। वह बिल्कुल टूट जाती है। उधर, सुबीर भी मन बहलाने की तमाम कोशिशों के बावजूद उबर नहीं पाता। दोनों फिर मिलते हैं। सुबीर खुद उमा से गाने का अनुरोध करता है। उसका अभिमान मिट चुका है।
अमिताभ+जया=अमिया
फिल्म ‘अभिमान’ अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी के असल निर्माता हैं। हालांकि, फिल्म के बौद्धिक संपदा अधिकार ये दोनों कभी न हासिल कर सके। फिल्म के प्रस्तुतकर्ता के नाम के रूप में अमिया लिखकर आता है जो अमिताभ के शुरुआती अक्षरों और जया के अंतिम अक्षर से मिलकर बना है। तब सोशल मीडिया का दौर नहीं था, लेकिन कहा जा सकता है कि हिंदी सिनेमा में हीरो हीरोइन के नाम मिलाकर हैशटैग बनाने जैसा ये पहला मामला है। सैफीना (सैफ और करीना) या रानालिया (रणबीर और आलिया) जैसे प्रयोग तो जमाने बाद हुए हैं।
हाथ से निकले बौद्धिक संपदा अधिकार
खुद अमिताभ बच्चन की कुछ साल पहले की एक ट्वीट बताती है कि फिल्म ‘अभिमान’ के बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर फिल्म की रिलीज के चार दशक बाद तक ऊहापोह की स्थिति बनी रही। बताते हैं कि जब ये फिल्म बनी तो अमिताभ व जया दोनों अपनी शादी में मशगूल थे और उन दोनों के तत्कालीन सेक्रेटरी ही इस फिल्म का पूरा काम देखते थे। इस चक्कर में कागजात के मामले में दोनों का काम कच्चा रह गया। साल 1973 में रिलीज फिल्मों की लिस्ट में इसका नंबर 20वां रहा। लेकिन, बाद में फिल्म के डिजिटल राइट्स और सैटेलाइट राइट्स करोड़ों में बिके।